नवरात्र में हर दिन देवी की पूजा व्रत-उपवास और कन्या भोज करवाया जाता है। लेकिन व्यस्तता और आर्थिक स्थिति की वजह से कुछ लोगों के लिए ये संभव नहीं हो पाता है। इसके लिए नवरात्र में 2 विशेष दिन बताए गए हैं। जिनमें की गई देवी पूजा, व्रत और कन्या भोज से पूरे नवरात्र देवी की आराधना करने जितना फल मिल सकता है। काशी के पं. गणेश मिश्र के मुताबिक अगर नौ दिन तक देवी पूजा, व्रत-उपवास या कन्या भोज नहीं करवा सकते तो भी कोई बात नहीं। उनका कहना है कि मार्कंडेय पुराण के मुताबिक नवरात्र की अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी की महापूजा का विधान है। महापूजा के इन 2 दिनों में ही पूरे नवरात्र का फल मिल सकता है।
देवी पूजा के विशेष दिन
पूरे नवरात्र देवी पूजा नहीं कर पाएं तो अष्टमी और नवमी पर देवी की महापूजा करने से पूरे नवरात्र देवी आराधना का फल मिल सकता है। मार्कंडेय पुराण के मुताबिक इन दो दिनों में हर तरह की पूजन सामग्री से देवी दुर्गा की विशेष पूजा करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ और हवन करवाने से देवी का आशीर्वाद मिलता है।
महापूजा पर व्रत-उपवास
पं. मिश्र का कहना है कि किसी वजह से नौ दिनों तक व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो महापूजा के दिनों में व्रत या उपवास करना चाहिए। नवरात्र की दुर्गाष्टमी और महानवमी पर निराहार यानी बिना कुछ खाए देवी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और मानसिक शांति भी मिलती है। इन दो दिन व्रत-उपवास से कई तरह की बीमारियां भी दूर हो जाती हैं।
कन्या भोज के 2 दिन
पं. मिश्र बताते हैं कि नवरात्र की महापूजा के दोनों दिनों में कन्या भोज करवाने से देवी उपासना का पूरा फल मिलता है। पूरे नवरात्र कन्या भोज नहीं करवा सकते तो अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं की पूजा और भोज करवाने से देवी अन्नपूर्णा के साथ महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है।
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