भाग्य को लेकर दुनिया दो धड़ों में बंटी है। एक जो भाग्य को मानते हैं, दूसरे जो कर्म को प्राथमिकता देते हैं। सनातन धर्म कहता है कि कर्म और भाग्य एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं। अगर हम कर्म करते हैं, तो उसका परिणाम ही आगे चलकर हमारे लिए भाग्य का काम करता है। अगर कर्म नहीं करते हैं, तो भाग्य भी उतना साथ नहीं दे पाता है।
एक प्रसिद्ध कहावत है कि भाग्य के भरोसे रहने वालों को उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं। लेकिन, एक कहावत ये भी है कि भाग्य से ज्यादा और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता है।
भाग्य और कर्म से जुड़ी ऐसी ही कुछ बातें....
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