महिलाएं फावड़ा लेकर खेतों में उतरीं, ताकि न आंदोलन कमजोर पड़े न फसल; देखें फोटोज - India news today

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Friday, December 4, 2020

महिलाएं फावड़ा लेकर खेतों में उतरीं, ताकि न आंदोलन कमजोर पड़े न फसल; देखें फोटोज

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 9वां दिन है। किसान दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं और उनके खेतों को संभाल रही हैं घर की औरतें। पत्नी, बहनों, मांओं ने गांव में वो जिम्मेदारी संभाल रखी है, जो पुरुष संभाल रहे थे। न घर सूना है और ना खेत। पटियाला के अगेता गांव की इन फोटोज में देखिए कि किस तरह से महिलाओं ने गांवों में संभाला मोर्चा...

महिलाएं बैलगाड़ी पर हैं और दिल्ली बॉर्डर पर उनके घर के पुरुष ट्रैक्टर-ट्रकों में हैं। लड़ाई दोनों जगह लड़ी जा रही है। नारा दिल्ली में भी बुलंद हो रहा है और गांवों में भी।

गांव के ही भारतीय किसान यूनियन के नेता हरविंदर सिंह साथियों के साथ बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। उनके साथ ही गांव के 10 परिवारों से किसान आंदोलन में गए हैं। पर मर्दों की गैरमौजूदगी में कुछ भी थमा नहीं है। मवेशियों के लिए चारे का इंतजाम हो या फिर खेती-किसानी का जिम्मा, महिलाओं ने सब संभाल रखा है।

अगेता की ये महिला खेतों में मवेशियों के लिए चारा लेने आई हैं। कुछ दिन पहले घर के मर्द ये काम करते थे, लेकिन अब वो आंदोलन कर रहे हैं। लिहाजा, इस जिम्मेदारी को इन्होंने अपने कंधों पर उठा लिया।

सिंदर कौर, महिंदर कौर, परमजीत कौर, शरणजीत कौर, तेज कौर, जसविंदर कौर और मुख्तियार कौर के अलावा दूसरी महिलाएं सुबह के चार बजे से ही फसल की सिंचाई करतीं, खाद डालती नजर आती हैं। सिंदर कौर और महिंदर कौर कहती हैं कि परिवार के लोग हक की लड़ाई लड़ रहे हैं तो हम भी इस संघर्ष में पीछे क्यों रहें। खेतीबाड़ी का जिम्मा संभाल लिया है।

महिलाओं का कहना है कि सारी जिम्मेदारी संभालते हुए थकान नहीं लगती, क्योंकि हौसला सबसे बड़ा है। पुरुष लड़ रहे हैं तो हम भी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हटेंगे।
खेतों में मेहनत कर रहीं महिलाएं हर उम्र की हैं। इस फोटो में एक बुजर्ग फावड़ा चला रही हैं तो दूसरी महिला ने किसान यूनियन का झंडा संभाल रखा है, ताकि खेतों के लिए शुरू हुआ संघर्ष खेतों में भी लगातार चलता रहे।


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घर के पुरुष दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं इसलिए पटियाला के अगेता गांंव की बुजुर्ग सिंदर कौर और महिंदर कौर फावड़ा लेकर खेतों में जुटी हैं। क्योंकि न तो आंदोलन कमजोर पड़ना चाहिए और न ही फसल।


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