महोदर अवतार में गणेशजी ने किया था मोहासुर को, वक्रतुंड स्वरूप में मत्सरासुर और एकदंत स्वरूप में मदासुर को किया था पराजित - India news today

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Monday, August 24, 2020

महोदर अवतार में गणेशजी ने किया था मोहासुर को, वक्रतुंड स्वरूप में मत्सरासुर और एकदंत स्वरूप में मदासुर को किया था पराजित

अभी गणेश उत्सव चल रहा है। इस पर्व का समापन 1 सितंबर को होगा। गणेशजी की पूजा करने से भक्तों की कई बुराइयां भी दूर हो सकती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा ने बताया गणेश अंक के अनुसार जिस तरह राक्षसों के नाश के लिए भगवान विष्णु ने अवतार लिए हैं, ठीक उसी तरह गणेशजी ने भी अवतार लिए हैं। गणेशजी ने क्रोध के स्वरूप क्रोधासुर, मोह के मोहासुर, अहंकार के स्वरूप अहंतासुर को पराजित किया था। जानिए गणेशजी के कुछ खास अवतारों के बारे में...

महोदर स्वरूप से डर गया मोहासुर

दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मोहासुर की मदद से देवताओं पर आक्रमण कर दिया। इसके बाद सभी देवता गणेशजी के पास पहुंचे और मोहासुर के आतंक को खत्म करने की प्रार्थना की। गणेशजी ने महोदर यानी बड़े पेट वाले गणेशजी का अवतार लिया। ये स्वरूप देखकर मोहासुर ने स्वयं ही पराजय स्वीकार कर ली और गणेशजी का भक्त बन गया। गणेश पूजन से मोहासुर यानी सुख-सुविधाओं के मोह को दूर किया जा सकता है।

वक्रतुंड ने खत्म किया मत्सरासुर का आतंक

मत्सरासुर नाम के असुर ने शिवजी को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त किया। मत्सरासुर ने अपने पुत्रों सुंदरप्रिय और विषयप्रिय के साथ देवताओं पर आक्रमण कर दिया। परेशान देवता गणेशजी के पास पहुंचे और मत्सरासुर से बचाने का आग्रह किया। तब गणेशेजी ने वक्रतुंड स्वरूप में अवतार लिया। वक्रतुंड ने असुर के दोनों पुत्रों का वध कर दिया और मत्सरासुर को पराजित कर दिया। गणेश पूजा से मत्सरासुर यानी ईर्ष्या दूर होती है।

एकदंत ने पराजित किया मदासुर को

मदासुर नाम के राक्षस ने शुक्राचार्य से दीक्षा ली थी। इसके बाद उसने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया। तब देवताओं ने गणेशजी से प्रार्थना की। गणेशजी ने एकदंत स्वरूप में अवतार लिया और मदासुर को पराजित किया। मदासुर यानी मद मन का एक विकार है। गणेशजी की पूजा से मद यानी बुरी चीजों का मोह भी दूर होता है।

कामासुर को पराजित किया विकट स्वरूप ने

एक कामासुर नाम के दैत्य की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने उसे त्रिलोक विजय का वरदान दे दिया था। इसके बाद उसने देवताओं पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। तब गणेशजी ने मोर पर विराजित विकट नाम का अवतार लिया और कामासुर के आतंक को खत्म किया। कामासुर यानी काम भावना से मुक्ति के लिए गणेशजी की पूजा करनी चाहिए।

लोभासुर यानी लालच दूर होता है गणेश पूजन से

लोभासुर नाम के दैत्य ने शिवजी को प्रसन्न किया और वरदान प्राप्त किया। उसने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। तब गणेशजी ने गजानन नाम का अवतार लिया और लोभासुर को पराजित कर दिया। लोभासुर यानी लालच, गणेशजी की भक्ति से ये बुराई दूर होती है।

लंबोदर ने क्रोधासुर को किया पराजित

क्रोधासुर नाम के दैत्य ने सूर्यदेव को प्रसन्न करके वर प्राप्त किया था। क्रोधासुर ने सभी देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली थी। तब गणेशजी ने लंबोदर स्वरूप में अवतार लिया। लंबोदर स्वरूप में क्रोधासुर का आतंक खत्म किया। क्रोधासुर यानी क्रोध को काबू करने के लिए गणेशजी का ध्यान करना चाहिए।

धूम्रवर्ण अवतार ने खत्म किया अहंकार

अहंतासुर को खत्म करने के लिए गणेशजी ने धूम्रवर्ण के रूप में अवतार लिया था। उनका रंग धुंए जैसा था, इसीलिए धूम्रवर्ण कहलाए। अहंतासुर यानी अहंकार को दूर करने के लिए गणेशजी के मंत्रों का जाप करना चाहिए।



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