डॉक्टरों की सलाह- बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले 18 से 24% तक बढ़े, उन्हें डराएं नहीं; सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ-पैर धोने के बारे में बताएं - India news today

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Thursday, May 14, 2020

डॉक्टरों की सलाह- बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले 18 से 24% तक बढ़े, उन्हें डराएं नहीं; सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनने और हाथ-पैर धोने के बारे में बताएं

कोरोनावायरस का सबसे ज्यादा खतरा60 साल या इससे ज्यादा उम्र के सीनियर सिटीजंस को है। इसलिए इन्हें सरकार नेसीवियर कैटेगरी में रखा है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक देश में 60 साल या इससे अधिक उम्र के 16 करोड़ लोग हैं।

नीति आयाेग ने सीनियर सिटीजंस के लिए विशेष गाइडलाइन्स भी बनाई हैं। इसमें बताया गया है कि ऐसे लोगों को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है, जिनकी उम्र ज्यादा है और जिन्हें पहले से कोई बीमारी भी है।
कोरोना की वजह सेबुजुर्गों में डिप्रेशन बढ़ा

हैदराबाद में कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रज्ञा रश्मि बताती हैं कि इस वक्त बुजुर्गों में डिप्रेशन के मामले 18 से 24 फीसदी तक बढ़े हैं।इसलिए जोसीनियर सिटीजंस अकेले या परिवार के साथ रहते हैं, उन्हें कोरोनावायरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा समझाने की जरूरत है। उनके दिल-दिमाग में बसे डर को निकालना होगा।

खुद को शांत रखने की कोशिश करें

कोरोना ने परिवारों के कई कमजोर पहलुओं को भी उजागर किया है, इसलिए जरूरत इस वक्त इन चीजों पर फोकस करने कीहै। रश्मि कहती हैं कि अगर हम तूफान को शांतकरने की कोशिश करेंगे, तो शायद सफलता न मिले, लेकिन यदि हम खुद को शांत करेंगे तो तूफान अपने आप शांत हो जाएगा। इसलिए हमारा फोकस खुद को शांत करने पर होना चाहिए। डॉ. रश्मिइसके कुछ तरीके भी बता रही हैं।

बुजुर्गों और उनके परिवार के लोगों को इन बातों पर अभी सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है-

  • दूरी के बारे में बताएं-डॉ. रश्मि कहती हैं किसोशल डिस्टेंसिंग शब्द हमारी संस्कृति से जुड़ा नहीं है। इसलिए बहुत से बुजुर्ग ऐसे हैं, जिनके लिए यह शब्द नया है। जब हम इसे हिंदी में सामाजिक दूरी बताते हैं, तब भी इसके मायने उन्हें गलत ही समझ में आते हैं। इसलिए उन्हें बताएं कि फिजिकल डिस्टेंसिंग करनी है, यानी किसी को छूने या करीब जाने से बचना है, न कि घर परिवार और समाज के लोगों से भावनात्मकदूरी बनानी है।
  • फोन पर बात करें- यदि आप अपने माता-पिता से दूर रह रहे हैं, और वे अकेले हैं, तो उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करें। पहले यदि आप हफ्ते में दो-तीन दिन बात करते थे, तो इस वक्त रोजाना उनसे वीडियो कॉल या सामान्य कॉल के जरिये बात करें। इससे उनका अकेलापन दूर होगा।
  • तकनीकी मदद-बहुत से बुजुर्ग ऐसे हैं, जिन्हें इंटरनेट या मोबाइल चलाना नहीं आता है, एक परिवार के नाते आपकी जिम्मेदारी है कि उन्हें इसके बारे में बताएं। उन्हें इंटरनेट चलाना सिखाइए। यदि आप उन्हें थोड़ा सा प्रोत्साहन देंगे, तो समझ जाएंगे। यह पहले से मत सोचिए कि बुजुर्ग ऐसा नहीं कर पाएंगे। वे कर सकते हैं।
  • सामाजिक दायरा बढ़ाएं-बुजुर्ग इस वक्त यह समझ रहे हैं कि उन्हें किसी से मिलना और बात नहीं करना है। इसके चलते भी वे डिप्रेशन में जा रहे हैं। उन्हें समझाइए कि आप उन सभी प्रियजनों और आसपास के लोगों से बात कर सकते हैं, मिल सकते हैं, बस थोड़ी सावधानी रखनी होगी। इससे अकेलापन दूर होगा। शर्म और संकोच से बाहर निकलकर उन लोगों से भी बात करें, जिनसे कभी नहीं करते थे।
  • डर निकालना होगा-सीनियर सिटीजंस के दिल और दिमाग से डर को दूर करने में भी आपको मदद करनी होगी। उनको सपोर्ट देना होगा, उन्हें नॉर्मल रखना होगा। यह कहने के बजाय कि डरो मत, आप खुश रहो, आपको कुछ नहीं होगा;उन्हें यह बताएं कि आपका डर स्वाभाविक है, इस वक्त आपको खतरा ज्यादा है, लेकिन आप कुछ सावधानी रखेंगे तो आपको कुछ नहीं होगा।
  • इमरजेंसी कॉन्टेक्ट दें-जो बुजुर्ग शहरों में रहते हैं और अकेले घर में हैं, उन्हें आसपास के किराना स्टोर, सब्जी विक्रेता, दूधवाले, मेडिकल स्टोर का कॉन्टेक्ट नंबर मुहैया कराएं। ताकि किसी तरह की इमरजेंसी पर वे इनसे बात कर सकें। यदि आपके आसपास ऐसा कोई रहता है, तो उनका भी हालचाल लें।
  • मन को शांत रखें-बुजुर्गों को चूंकि किसी एक चीज से सबसे ज्यादा जूझने की ताकत मिलती है, तो वो पूजा-पाठ है। लेकिन इस वक्त सभी धर्मस्थल बंद हैं। उन्हें यह बताने की जरूरत है कि मंदिर-मस्जिद-चर्च-गुरुद्वारा बंद हैं, लेकिन भगवान बंद नहीं हैं। आप घर पर ही पहले जैसी आध्यात्मिक चीजें करें, ताकि मन को शांति मिले।

परिवार के साथ रहने वाले बुजुर्गों को खुश रखें, इस बात को समझें कि उनका लेवल ऑफ हाइजीन अलग होगा
डॉ. रश्मि कहती हैं किकोरोना ने हमारे परिवारों के एक नए पक्ष को भी दिखाया है। बहुत लंबे समय बाद ऐसा हो रहा है, जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ हैं। ऐसे में यदि बुजुर्ग झींक भी दे हैं, तो यह घर में बड़ा बवाल बन जाता है।

परिवार के अन्य लोग उन्हें मास्क पहनने के लिए कह रहे होते हैं। लेकिन इस वक्त एक बात आप को समझना होगा कि उनका लेवल ऑफ हाइजीन परिवार के बाकी लोगों से अलग होगा। ऐसे में उनको धमकाएं न, आप खुद उनसे अलर्ट रहें। इससे उन्हें खुशी मिलेगी। इसके अलावा ऐसे भी कई परिवार हैं, जहां बुजुर्ग अलर्ट हैं, लेकिन बाकी लोग ढीले हैं।

  • सीनियर सिटीजंस गर्म खाना खाएं, बाहर का कुछ भी खाने से परहेज करें

हैदराबाद स्थित मेडिकवर हॉस्पिटल के चीफ हेपिटोबिलेरी और लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन सचिन डागा कहते हैं कि सीनियर सिटीजंस कहीं भी रहें, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग जरूर करें। यह बीमारी अभी जाने वाली नहीं है, इसलिए अगले छह महीने तक सीनियर सिटीजन लोग किसी से भी मिलें तो तीन फीट की दूरी जरूर रखें। इसके अलावा जब बाहर निकलें तो मास्क जरूर पहनें। जब भी कुछ एक्टिविटी करें तो हाथ-पैर जरूर धुलें। घर पर भी रहें तो समय-समय पर हाथ जरूर धुलें। साफ-सुथरा खाना और गर्म खाना खाएं। बाहर का कुछ न खाएं। रोडसाइडकुछ न खाएं।

  • कोरोना से बचने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों को अपनाकर इम्युनिटी बढ़ाएं

एलोपैथ में तो अभी ऐसीकोई दवा नहीं है, जो इसके इलाज में काम आए। ऐसे आयुर्वेदिक नुस्खे इसमें कारगर हो सकते हैं, ताकि सर्दी-जुकाम न हो। इसके लिए लौंग, कालीमिर्च, दालचीनी, अजवाइन, अदरक इन्हें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक गिलास पानी में उबाल लें। इसे पीने से सर्दी-जुकाम नहीं होगा। इम्युनिटी भी बढ़ेगी। कोरोना का सिंप्ट्म्स भी सर्दी-जुकाम जैसा ही होता है।

  • सिर्फ चार से पांच फीसदी बुजुर्ग लोगों को ही आईसीयू की जरूरत पड़ती है

कोई भी सर्दी-जुकाम हो तो जाकर डॉक्टर को बताना है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। यह भी एक वायरल इन्फेक्शन है। सिर्फ चार से पांच फीसदी लोगों को आईसीयू की जरूरत पड़ती है। उसमें से भी आधे से ज्यादा ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा चेन को रोकने के लिए लोगों को नोटिफाई करना जरूरी है। इसमें भेदभाव न करें।

  • किसी बीमारी से पीड़ित बुजुर्गको इस वक्त सबसेज्यादा ध्यान रखने की जरूरत

डॉ. सचिन कहते हैं कि ऐसे सीनियर सिटीजन को और ज्यादा ध्यान रखना है, जो स्मोकिंग करते हैं, जिन्हें खांसी की बीमारी है, फेफड़े या हार्ट की बीमारी है, अर्थराइटिस या अस्थमा है। इसके अलावा डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की दवा खा रहे लोगों को भी ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है। इन बीमारियों में मरीज को तो पहले से ही रिस्क रहता है, लेकिन किसी कारणवश यदि कोरोना आ जाता है, तो इन लोगों में जान का खतरा और बढ़ जाता है।

स्वयंसेवी संस्थाएं भी बुजुर्गों की मदद को आगे आ रही हैं

इस वक्त तमाम स्वयंसेवी संस्थाएं बुजुर्गों की मदद को आगे आ रही हैं। इसी तरह की एक संस्था है, दादा-दादी फाउंडेशन। संस्था के निदेशक मुनिशंकर कहते हैं कि इस वक्त सीनियर सिटीजंस को मेंटल सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत है। कई सीनियर सिटीजंस तो बिल्कुल भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं, इसके चलते कई लोग डिप्रेशन के शिकार हो रहे है। उनकी संस्था ऐसे सीनियर सिटीजंस की काउंसलिंग करने में मदद कर रही है। इसके अलावा बुजुर्गों को सोशल मीडिया, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अवेयर और मोटिवेट भी कर रहे हैं। कई शहरों में वॉलिंटियर्स राशन भीपहुंचा रहे हैं। जमीन पर काम करने का असल वक्त तो लॉकडाउन खत्म होने के बाद शुरू होगा।



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